Uttarakhand

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर प्रदेश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित

भारत के पूर्व वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। डा० मनमोहन सिंह, मा० भूतपूर्व प्रधानमंत्री, भारत सरकार के निधन पर दिनांक 26.12.2024 से दिनांक 01.01.2025 (दोनों दिवसों को जोड़कर) सात दिन का राष्ट्रीय शोक रहेगा। इस अवधि के दौरान उत्तराखण्ड राज्य में जहाँ राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराये जाते हैं, वहाँ राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगें। राष्ट्रीय शोक के दिवसों में कोई भी शासकीय मनोरंजन के कार्यकम आयोजित नहीं किये जायेंगे।

भारत के पूर्व वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। डॉ. सिंह का जन्म 26 तारीख को हुआ था। उनका निधन भी 26 तारीख को ही हुआ। डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। भारत की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में उनका काफी योगदान था। डॉ. सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को हुआ था। वह अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में जन्मे थे। लेकिन जब देश का बंटवारा हुआ, तो उनका परिवार अमृतसर में आकर बस गया। गाह गांव अब पाकिस्तान का हिस्सा है। गाह गांव के जिस स्कूल में कभी मनमोहन पढ़ते थे, आज उसे मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज स्कूल के नाम से जाना जाता है। अमृतसर में आने के बाद मनमोहन सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। 1952 में उन्होंने यहां से इकोनॉमिक्स में बैचलर और 1954 में मास्टर्स पूरा किया।

भारत को नई आर्थिक नीति की राह पर लाने का श्रेय डॉ. सिंह को दिया जाता है। उन्होंने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), रुपये के अवमूल्यन, करों में कटौती और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण की अनुमति देकर एक नई शुरुआत की। आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति की शुरुआत में उनकी भूमिका को दुनिया भर में स्वीकार किया जाता है। उनकी नीतियों ने ही भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण की दिशा में ले जाने का काम किया। वह 1996 तक वित्त मंत्री के तौर पर आर्थिक सुधारों को अमलीजामा पहनाते रहे।

मनमोहन सिंह को मई 2004 में देश की सेवा करने का एक और मौका मिला और इस बार वह देश के प्रधानमंत्री बने। अगले 10 वर्षों तक उन्होंने देश की आर्थिक नीतियों और सुधारों को मार्गदर्शन देने का काम किया। उनके कार्यकाल में ही 2007 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर नौ प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंची और दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया।

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