Uttarakhand

भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को भेजा नोटिस, जानें पूरा मामला

  • भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा और संशोधन के लिए पाकिस्तानों को औपचारिक नोटिस भेजा है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

भारत ने पाकिस्तान को सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए एक औपचारिक नोटिस भेजा है। नई दिल्ली का कहना है कि परिस्थितियों में मूलभूत और अप्रत्याशित बदलाव हुए हैं, जिससे इस समझौते का पुनर्मूल्यांकन जरूरी हो गया है। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि यह नोटिस 30 अगस्त को सिंधु जल समझौते के अनुच्छेद 12 (3) के तहत भेजा गया है।

इस समझौते पर भारत और पाकिस्तान ने 19 सितंबर 1960 को हस्ताक्षर किए थे। जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता था। इस संधि का मकसद दोनों देशों के बीच जल वितरण पर सहयोग और जानकारी का आदान-प्रदान करना है। भारत ने इस नोटिस में कुछ प्रमुख चिंताओं का का जिक्र किया है, जैसे जनसंख्या परिवर्तन, पर्यावरणीय मुद्दे और स्वच्छ उर्जा के विकास की जरूरत। भारत का कहना है कि ये बदाव संधि की शर्तों की समीक्षा की मांग कर रहे है। इसके अलावा, भारत ने पाकिस्तान में निरंतर आतंकवाद के प्रभाव को भी समीक्षा की एक वजह बताया है। एक सूत्र ने कहा कि किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं को लेकर एक अलग लंबे विवाद की पृष्ठभूमि में अधिसूचना जारी की गई थी।

भारत ने विश्व बैंक से आग्रह किया है कि वह विवादों के समाधान के लिए दोनों तंत्रों (तटस्थ विशेषज्ञ और आर्बिट्रेशन कोर्ट) की प्रक्रिया पर फिर से विचार करे। भारत ने यह भी कहा कि वह विवाद को हल करने के लिए सीधे बातचीत शुरू करने की उम्मीद करता है।

पाकिस्तान बार-बार सिंधु जल संधि पर चर्चा करने से करता रहा है इनकार

पारस्परिक रूप से सहमत तरीके से आगे बढ़ने के लिए भारत द्वारा बार-बार प्रयास करने के बावजूद, पाकिस्तान ने 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की पांच बैठकों के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार किया था। पाकिस्तान के निरंतर आग्रह पर, विश्व बैंक ने फिछले साल तटस्थ विशेषज्ञ और आर्बिट्रेशन कोर्ट की प्रक्रियाओं दोनों पर कार्रवाई शुरू की। समान मुद्दों पर इस तरह के समानांतर विचार सिंधु जल समझौते के किसी भी प्रावधान के अंतर्गत नहीं आते हैं।

जानें क्या है सिंधु जल समझौता?

दरअसल, सिंधु जल संधि के प्रावधानों के तहत सतलज, व्यास और रावी का पानी भारत को और सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को दिया गया है। भारत और पाकिस्तान ने नौ सालों की बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता (सिग्नेटरी) है। दोनों देशों के जल आयुक्तों को साल में दो बार मुलाकात करनी होती है और परियोजना स्थलों एवं महत्त्वपूर्ण नदी हेडवर्क के तकनीकी दौरे का प्रबंध करना होता है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *